बुधवार, 26 अप्रैल 2017

खेत में भाई ने मेरी बुर चोदी

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शिखा है, में कॉलेज की छात्रा हूँ और पिछले महीने ही 19 साल की हुई हूँ. मुझे सेक्स के बारे में काफ़ी जानकारी है और मैंने पहले 4-5 बार सेक्स कर रखा है, मेरा फिगर 34-28-36 है और आप लोग समझ ही गये होंगे कि में कैसी दिखती हूँ, मेरी गांड एकदम गोल है और बूब्स भी एकदम टाईट है. हम यू.पी. के एक गावं में रहते है, मेरे पापा गावं के ज़मीदार है और खेती करते है. मेरे भाई की उम्र 20 साल है और वो Ist ईयर में ग्रेजुयेशन कर रहा है, वो देखने में काफ़ी स्मार्ट है और उसकी हाईट 5 फुट 7 इंच है.
मैंने कॉलेज में एग्रिकल्चर का विषय ले रखा है, जिसके प्रेक्टिकल आने वाले है तो मुझे वैसे तो काफ़ी जानकारी है, लेकिन खेतों की कम जानकारी है. फिर मैंने पापा से खेतों के बारे में और फसलों की जानकारी के बारे में हेल्प लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि विकास से पूछ ले और वो तुम्हे खेत में घुमा देगा और तुझे जानकारी भी दे देगा. फिर भाई ने हाँ बोल दिया, सर्दियो के दिन थे और खेतों में गन्ने की फसल लगी हुई थी, दूर-दूर तक हमारे ही खेत है और सुबह 8 बजे का टाईम था. फिर हम दोनों खेतों की तरफ चल दिए और चारो तरफ कोहरा था और दूर का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. फिर अचानक भाई ने कहा कि तू चल में आता हूँ. मैंने कहा कि क्या हुआ? फिर उसने कहा कि मुझे टायलेट करना है तू चल.
में – भाई मुझे अकेले में डर लगता है.
भाई – तो तू दूसरी तरफ मुँह कर ले.
में – ठीक है.
फिर मैंने दूसरी तरफ मुँह कर लिया और मुझे भाई की चैन खुलने की आवाज़ आई और फिर टायलेट की आवाज़ बहुत तेज़ से आने लगी. फिर मैंने चुपके से पीछे मुँह करके देखा तो मुझे कुछ नहीं दिखा, मेरे दिल में अजीब सा कुछ होने लगा था. फिर मैंने थोड़ा साईड में होकर पीछे देखा तो मेरी आँख फटी रह गई और मुझे भाई का आधा बाहर निकला लंड दिख गया, उसका क्या लंड था? में तो डर गई उस टाईम और वो कम से कम 6 इंच का दिख रहा था और मोटा तो बाप रे बाप.
फिर मैंने सोचा कि अगर ये अभी इतना बड़ा है तो खड़ा होकर तो गधे जितना हो जायेगा. फिर मेरी चूत में खुजली होने लगी और पानी आ गया. इतने में ही भाई ने मुझे हल्का सा मुड़ता हुआ देख लिया तो में डर गई और सीधा चलने लगी. फिर मुझे चूत की खुजली परेशान करने लगी तो में बार-बार अपने हाथ से चलते हुए चूत को मसलने लगी, भाई ये सब नोट कर रहा था और वो मुझे थोड़ा अलग ही नज़रो से देखने लगा. खेर फिर हम फसलों की जानकारी लेने के बाद घर आ गये. अगले दिन में कॉलेज गई तो मैंने ये बात जब अपनी सबसे अच्छी दोस्त को बताई तो वो मेरे भाई के लंड का साईज़ सुनकर हैरान रह गई और कहने लगी कि बात को आगे बढ़ा और अपने भाई से चुदवा ले तो घर की बात घर में भी रहेगी और तुझे इतना बड़ा लंड भी मिल जायेगा, लेकिन अपना काम बनने के बाद अपने भाई से मेरी भी सेटिंग करवा देना. फिर मैंने भी सोचा कि वो ठीक कह रही है और आगे बढ़ने का फैसला कर लिया.
अगले दिन से प्रेक्टिकल की तैयारी के लिए 1 हफ्ते की छुट्टियाँ थी. फिर में सुबह सुबह तैयार होकर भाई के साथ खेतों में चली गई. फिर हम अपने बोरवेल वाले कमरे में चले गये, क्योंकि बहुत ठंड थी. फिर भाई ने कहा कि में अभी टायलेट करके आता हूँ और वो कमरे की दीवार के पीछे चला गया, उस दीवार में एक ईट निकली हुई थी तो में झट से उसमें से झाँकने लगी, भाई शायद जानता था कि में उसे देख रही हूँ तो वो सीधा उस छेद के सामने जाकर खड़ा हो गया और अपनी पेंट खोलकर अंडरवियर में से लंड निकाल लिया. फिर उसने हल्का सा एक बार उस छेद की तरफ देखा और अपना लंड पकड़कर हिलाने लग गया तो धीरे-धीरे उसका लंड बड़ा होने लगा और पूरा तन गया, वाहह उसका क्या लंड था? कम से कम 8 इंच लम्बा होगा और 3 इंच मोटा होगा, मेरी तो चूत रोने लगी और मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया.
फिर मैंने भी अपना हाथ अपनी सलवार के अंदर डाल लिया और चूत में उंगली करने लगी, भाई भी ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगा और अचानक ही मेरे कान में उसकी आवाज़ आई, वो शिखा-शिखा करके लंड को हिला रहा था. में तो हैरान रह गई कि मेरा भाई भी मुझे चोदना चाहता है और वो झड़ने वाला था, उसने 3-4 ज़ोर के शॉट मारे और उसके वीर्य की पिचकारी कम से कम 5 फुट आगे जाकर गिरने लगी. फिर उसने कम से कम आधा कप वीर्य छोड़ा होगा, इधर ये सीन देखकर मेरी भी आह्ह्ह्ह निकल गई और में भी झड़ गई. फिर थोड़ी देर में भाई आया और बातें करते-करते मेरे बूब्स को घूरने लगा. फिर थोड़ा रिसर्च करने के बाद हम बैठ गये, हमारे अमरूद के बाग थे और उस समय अमरूद लगे हुए थे तो मैंने कहा कि भाई मुझे अमरूद खाने है. फिर उसने कहा कि खुद तोड़ ले तो में अमरुद तोड़ने लगी तो अमरूद ऊपर लगे थे और वहां तक मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा था तो मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया.
फिर मैंने कहा कि भाई मुझे थोड़ा ऊपर उठा दे तो में अमरुद तोड़ लूँगी तो वो मेरे पास आकर मुझे पीछे कमर से पकड़कर उठाने लगा, मेरा हाथ पहुँच तो रहा था, लेकिन फिर भी मैंने भाई से कहा कि थोड़ा और उठा दे. फिर उसने इस बार मुझे नीचे उतार कर मुझे गांड के नीचे से पकड़ा और ऊपर की तरफ उठाने लगा, जैसे ही मेरी गांड उसके लंड के पास आई तो मुझे उसका लंड चुभने लगा तो मेरी आह्ह्ह निकल गई. फिर उसने मुझे वही रोक लिया और अपने लंड को मेरी गांड पर दबाने लगा, मुझे तो बहुत मजा आ रहा था. फिर उसने मुझे ऊपर उठाया और अपने मुँह के पास मेरी गांड को ले आया, उसकी गर्म सांसे मुझे महसूस हो रही थी.फिर अचानक मुझे कुछ गीला-गीला सा महसूस होने लगा, क्योंकि वो अपनी जीभ निकालकर मेरी गांड पर लगा रहा था, मेरी तो चूत टपकने लगी थी. फिर मैंने अमरूद तोड़ लिया तो भाई मुझे नीचे उतारने लगा और उसका लंड ऊपर की तरफ फुल खड़ा था तो जैसे ही में नीचे आई तो उसका लंड मेरी गांड में कपड़े के ऊपर से घुसने लगा और जैसे-जैसे नीचे आती रही उसका दबाव मेरे छेद पर पड़ने लगा, सच कहूँ तो अगर मैंने उस दिन पेंटी नहीं पहनी होती तो उसका लंड मेरी गांड में घुस जाता.
फिर हम घर आ गये, वो पूरे दिन मुझे घूरता रहा और अगले दिन सुबह कॉलेज चला गया. फिर जब शाम को वो आया तो मैंने उसे फिर से खेत पर चलने को कहा, शाम के 5 बज रहे थे और मौसम भी खराब हो रहा था, हमारे खेत घर से थोड़े दूर ही थे, लगभग 30 मिनट का रास्ता था. फिर हम लोग खेत से थोड़ी ही दूर थे कि अचानक बारिश होने लगी, सर्दी का मौसम था और हम दोनों भीग गये. फिर हम दोड़ते हुए अपने टूयबवेल वाले कमरे पर पहुंचे और लॉक खोलकर अंदर बैठ गये.
मुझे बारिश की वजह से बहुत ठंड लगने लगी थी और ज्यादा ठंडी हवायें चल रही थी तो मैंने भाई से कहा कि अंदर रखी हुई थोड़ी लकड़ियां लेकर आग जला दे. अब हमें थोड़ी राहत मिली और उधर मौसम बहुत ज्यादा खराब हो गया, रात के 7 बज रहे थे और बारिश लगातार हो रही थी. फिर पापा का फ़ोन आया तो उन्होंने कहा कि बारिश हो रही है तो तुम आज रात वही पर रुक जाओं, मेरी तो आँखे चमक गयी और पूरा प्लान मेरे दिमाग़ में आ गया.
फिर मैंने भाई को बताया तो वो बारिश में ही जाकर कुछ अमरूद ले आया ताकि हम कुछ खा सके और वापस आकर अपनी शर्ट उतार दी और आग पर हाथ सेकने लगा. मेरे कपड़े आग की गर्मी से सूख चुके थे, टूयबवेल पर एक चारपाई रहती है और बिछाने के लिए एक गद्दा और रज़ाई रखे थे, क्योंकि फसल उठने या काटने के समय में पापा यही सोते है. फिर हमने 1 चारपाई पर सोने का फैसला किया. भाई ने गद्दा लगाया और हम दोनों सोने लगे और चारपाई ज्याद बड़ी नहीं थी तो इसलिए हमारा शरीर चिपक रहा था. भाई की पेंट गीली थी तो मुझे ठंड लग रही थी. फिर मैंने भाई से कहा कि इसे उतार दे तो उसने तुरंत उसे उतार दिया.
अब वो केवल अंडरवियर में था. जंगल में चारो तरफ अंधेरा था और सन्न सन्न की आवाज़े आ रही थी और बारिश भी बहुत हो रही थी. फिर मैंने दूसरी तरफ करवट ले ली और करीब 1 घंटे के बाद मुझे अपनी कमर पर भाई का हाथ महसूस हुआ तो में चुपचाप लेटी रही. फिर कुछ देर के बाद में भाई का हाथ हरकत करने लगा और हाथ बढ़कर मेरे पेट पर आ गया, में तो चाहती ही यह थी तो मैंने चुप रहने का फैसला किया. अब उसका हाथ मेरी नाभि से होता हुआ बूब्स की तरफ आने लगा, वो हल्का-हल्का मेरे बूब्स पर हाथ रखने लगा. इतने में ही मुझे अपनी गांड पर कुछ चुभता सा महसूस हुआ और मेरी धड़कने बढ़ने लगी, क्योंकि वो उसका लंड था. अब उसका लंड मेरी गांड की दरार में चला गया था तो में शांत पड़ी रही, अब उसने अपना हाथ नीचे लाकर मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया. फिर भाई अपने हाथ से धीरे- धीरे से मेरे सलवार को ढीला करके नीचे उतारने लगा, चारो तरफ अंधेरा था.
फिर उसने मेरी सलवार घुटनो तक उतार दी और अब मेरी पेंटी पर हाथ रखकर सहलाने लगा. फिर उसने अपना हाथ एकदम से मेरी पेंटी में डाल दिया और नीचे की तरफ उतारने लगा. वो ऐसे बर्ताव कर रहा था, जैसे वो सो रहा हो. अब उसने मेरी पेंटी भी घुटनो तक उतार दी थी. फिर 5 मिनट तक सहलाने के बाद उसने अपना लंड मेरी गांड से टच कर दिया, शायद उसने अपना लंड भी बाहर निकाल लिया था, आहह में चुपचाप पड़ी रही. फिर उसने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया और सहलाने लग गया, मेरी चूत पर तो जैसे पानी की बाढ़ आई हुई थी, उसका पूरा हाथ भीग गया था. अब शायद वो भी समझ गया था कि में जाग रही हूँ तो इसलिए उसने देर ना करते हुए अपने मोटे लंड के टोपे को मेरी चूत के छेद पर सटा दिया और रगड़ने लगा तो मेरे मुँह से आह्ह निकल गई, लेकिन मैंने आवाज़ बाहर नहीं आने दी और मुझे बहुत मज़ा आने लगा था.
फिर मैंने अपनी गांड को थोड़ा पीछे की तरफ निकाल दिया ताकि उसका लंड मेरी चूत के छेद पर ढंग से सेट हो सके. अब वो हल्के से मेरे बूब्स को दबाने लगा और धीरे से एक झटका मार दिया और चिकनाई की वजह से उसके लंड का टोपा मेरी चूत में घुस गया तो मेरे मुँह से आआअहह निकली जो भाई ने सुन लिया था, लेकिन ना वो कुछ बोला और ना में कुछ बोली, उसका लंड बहुत मोटा था तो मुझे दर्द हो रहा था. फिर उसने धीरे-धीरे अन्दर दबाना जारी रखा तो में कराहने लगी, लगभग उसका आधा लंड अन्दर जा चुका था. अब मुझसे सहन नहीं हुआ तो मैंने अपना हाथ पीछे करके उसके लंड पर अपना हाथ रख दिया और उसे वही रोक दिया, लेकिन जब मेरा हाथ उसके लंड पर गया तो बाप रे मेरे हाथ में उसका लंड नहीं आ रहा था, में तो हैरान थी कि इतना बड़ा लंड मेरे अन्दर कैसे जा रहा है. अब भाई वही पर आगे पीछे करने लगा, मुझे मज़ा आने लगा तो मैंने अपना हाथ उसकी गांड पर रखकर अपनी तरफ दबाया और आाआईईईई माआआआआ मररररर गगगईईई आअहह मेरी सासें अटक गई और आँखों से आंसू आने लगे थे.मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी चूत फट गई हो, उसका लंड पूरा अन्दर जा चुका था तो में ज़ोर-जोर से कराहने लगी और भाई मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा और थोड़ी देर में मेरा दर्द कम हो गया. और अब वो अपना हाथी जैसे लंड को पूरा अन्दर बाहर करने लगा था. अब में सांतवे आसमान में थी, आअहह आअहह ऊऊओह म्‍म्म्ममम माआ भाईईईईईई औररररर तेज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ चोदो मुझे, रगड़ दो, सस्स्स्स्सस्स अया आअहह आअहह. फिर भाई भी तेज स्पीड में मुझे चोद रहा था और पूरे कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी, क्योंकि वो मेरी मोटी गांड से ज़ोर-ज़ोर से टकरा रहा था.
अब भाई ने मुझे सीधा किया और पैर खोलकर बीच में आ गया और मेरे ऊपर लेट गया, उसका लंड सही जगह पर सेट नहीं हो रहा था. फिर मैंने नीचे हाथ ले जाकर उसे छेद पर लगाया और एक झटके में उसने अपना लंड अन्दर डाल दिया, आआआहह भाइई आराम से, लेकिन वो ताबड़तोड़ झटके लगाने लगा और मेरे पैर अपने आप खुलकर हवा में सीधे हो गये, वो सच में घोड़ा था यार आअहह आअहह एयए एयए एयए एम्म्म म्‍म्मह म्ह्हह्ह्ह्ह आई माआ में मर गई.
फिर ऐसे ही लगभग 30 मिनट तक उसने मुझे लगातार चोदा और में उसकी बाहों में हाथ डालकर चिपकी रही और आवाज़े निकालती रही और इस बीच में 3 बार झड़ चुकी थी. अचानक उसकी स्पीड तूफ़ानी हो गई, आअहह आअहह आअहह ऊऊहह म्‍म्म्मम भाई में आ रही हूँ और में उससे ज़ोर से चिपक गई और अपने चूतड़ उसके लंड पर चिपकाने लगी और इतने में वो भी झड़ गया और उसके वीर्य से मेरी पूरी चूत भर गई. सही मायने में मुझे आज लगा कि में कली से फूल बनी हूँ. फिर हम थोड़ी देर लेटे रहे और फिर सो गये. अब हमें जब भी मौका मिलता है तो हम सेक्स करते है और खूब मज़े करते है.

ड्राईवर से चुदी


मेरा नाम अनीता है, मैं तेईस वर्ष की युवती हूँ और शादी शुदा हूँ।

स्कूल में थी जब मैंने अपनी सील तुड़वा ली थी और चुदाई का मजा चख लिया था और फिर न जाने कितने लौड़े अपनी फुद्दी में डलवाये और मजे लूटे। एक गरीब परिवार से थी लेकिन ख्वाब बहुत ऊँचे ! मुझे पता था कि अपनी जवानी, अपने दिलकश कसे हुए जिस्म अपने हुस्न की बदौलत मैं किसी अमीरजादे का दिल जीत लूंगी और एक अमीर घर में जाउंगी। हर कोई मेरी जवानी का कायल था और कायल है।

सच में ही मुझ में बहुत सेक्स भरा हुआ है और मुझे बिना अच्छे लौड़े के रहना मुश्किल लगता है। मैं सभी घरवालों को सहेलियों से कहती रहती थी कि एक दिन पैसे से खेलूंगी। इसी सिलसिले में हर रोज़ अखबार में मेट्रीमोनियल पढ़ती थी ताकि अपने लिए कोई अच्छा अमीर घर ढूंढ सकूँ।

और फिर मैंने कॉलेज में कदम रखा। एक दिन मेरे कॉलेज में तीन दिन का उत्सव था, हम सब उस दिन बहुत सेक्सी कपड़े पहन कर गईं थी।

वहाँ मेरी सहेली ने मुझे कहा- वो देख वो बंदा किस तरह तुझे देख रहा है !

मैंने भी उसको ध्यान से देखा, उसने मुझे वहीं से हाय कहा हाथ हिला कर !

मैं मुस्कुरा दी।

अगले दिन फिर से वो मुझे मिला। आज वो अपनी चमचमाती फोर्ड एंडेवर से लगा खड़ा चाभी घुमा रहा था। उसने मुझे अपने पास इशारे से बुलाया। मैं नहीं गई, वहाँ से क्लास में चली गई वो मेरे पीछे आया, उसने मेरे बारे सब पता करवा लिया था कि क्या करती हूँ, कब कॉलेज लगता है, कब छुट्टी होती है सब कुछ !

उत्सव के अन्तिम दिन उसने मुझे फिर से बुलाया। मैंने देखा वहाँ बहुत सारे लड़के खड़े थे। मैंने उसको स्टेयरिंग घुमाने का इशारा करते हुए मेरे पीछे आने को कहा। मैं एगरीकल्चर-डिपार्टमेंट की तरफ चल पड़ी, वो खाली रहता है। वो मेरे पीछे कार लेकर आया और मेरे पास आकर दरवाज़ा खुला, मैं बैठ गई। वहाँ से कार वो एक खाली सड़क पर ले गया मेरे बारे सब पूछ कर उसने मेरा हाथ थामा, प्यार से सहलाया, फिर धीरे से उसपर चूम लिया। मेरे बदन में सिरहन सी उठी मीठी मीठी। फिर कंधे पर चुन्नी खिसका कर चूमा। मेरे बदन में और हलचल हुई, मुझे अपनी तरफ खींच कर सीने से लगाते हुए मेरे होंठ चूम लिए और फ़िर एक हाथ मेरी कमीज़ में घुसा दिया।

मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी, मैंने कहा- हम सड़क पर हैं, मुझे जाना है।

काफी दिन हम ऐसे ही मिलते रहे और फिर एक रोज़ वो मुझे अपने साथ अपने घर ले गया। अकेले थे दोनों वहाँ, वो सब कुछ हो गया। मुझे डर था कि कहीं मेरी चोरी पकड़ी गई कि मैं चुदी हुई हूँ, तो जब उसने अन्दर डाला मैंने बदन कस लिया, टांगें भींच ली ताकि उसको शक न हो जाए। वो बहुत बड़ा बिज़नसमैन था, उसकी अपनी ट्रांसपोर्ट थी, रेस्टोरेंट थे, ज़मीन खरीद कर वहां प्लॉटिंग करता, अँधा पैसा था उसके पास लेकिन उसकी उम्र बहुत ज्यादा थी। मैं उससे बहुत कम चुदवाती ताकि उसे यह न लगे कि मैं चुदाई की भूखी हूँ।
मेरा जादू चल गया, उसने मुझे पढ़ाई छोड़ने को कहा और अगले ही दिन उसने मेरा हाथ मांगने अपने अंकल को घर भेज दिया। इतना बड़ा रिश्ता आता देख माँ ने मुझसे पूछा, मैंने कहा- मैं उससे प्यार करती हूँ और उसी के साथ ही शादी करुँगी।

उसने साधारण शादी करवाई और फिर अपनी तरफ से बड़ी पार्टी दी जिसमें शहर के नामी लोगों की शिरकत थी। उसका घर नहीं महल था, नौकर-चाकर चकाचौंध !

उसका बाकी परिवार अमेरिका में था। वो भी ऐसे ही चक्कर लगाता रहता, यह मुझे बाद में पता चला कि उसने अमेरिका में पहले भी शादी की हुई थी। लेकिन वो मेरे साथ रहता था, सब कुछ दिया था उसने !

उसने मुझे अपना ऑफिस संभालने को कहा क्योंकि उसका बिज़नेस बहुत फैला हुआ है, उसने ट्रांसपोर्ट का काम मुझे सौंप दिया। मैं सेक्स की भूखी थी और अब मुझे उससे दिक्कत थी। एक बढ़ती उम्र और ऊपर से कम समय देना !

मैं ऑफिस जाने लगी थी। वहाँ बहुत मर्द आते थे। कसा टॉप, कसी जींस पहनती। सबकी नजर मेरे मम्मों पर टिक जाती थी। पहले मैं अपनी कार खुद ड्राईव करती लेकिन मेरी तबीयत ठीक न थी। मेरे मैनेजर ने अखबार में ड्राईवर के लिए विज्ञापन दिया। काफी लड़के आये। उनमें से एक ऐसा था जिसको मैं अन्दर ही अन्दर दिल दे बैठी। खूबसूरत जवान लड़का, चौड़ी छाती, देखने में पहलवान ! उसको मैंने अपना ड्राईवर रख लिया। उसका परिवार यू.पी में था, वो अकेला किराए पर रहता था, पास में ही घर था।

मैं उसकी और खिंचने लगी, मेरे कदम बहकने लगे। वो भी समझ चुका था कि मैं उस पर क्यों मेहरबान हुई थी। वो भी बस मेरे इशारे की इंतज़ार में था।

जब वो कार ड्राईव करता था, मैं पीछे नहीं, उसके साथ आगे बैठने लगी, बहुत खुल गई उससे।

एक रोज़ हम बातें करते हुए जा रहे थे कि उसकी किसी बात पर मैं जोर से हंस पड़ी और मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया। हाथ कुछ ज्यादा ही आगे तक चला गया था। कार में एकदम चुप्पी छा गई। मैं हाथ हटाने लगी तो उसने पकड़ लिया और अपनी जिप पर रख दिया। लेकिन दोनों खामोश थे। मैंने उसके लौड़े को दबा दिया। चुप्पी अभी भी कायम थी। उसने जिप खोल दी, मैंने अन्दर हाथ घुसा दिया। कितना बड़ा लौड़ा था उसका ! मैं सहलाने लगी, मसलने लगी ! उसको बहुत अच्छा लग रहा था। इधर मेरी फुद्दी भी पानी छोड़ रही थी। कितने दिनों बाद मोटा लौड़ा थामा था !
ऑफिस आते ही मैं कार से उतरी और अपने केबिन में पहुँच कर हांफने लगी। मुझे बहुत आग लग रही थी। मैंने उसके फ़ोन पर कॉल की और उसको कहा कि इधर उधर देख ऑफिस में आ जाओ !

उसके अन्दर आते मैंने दरवाज़ा लॉक किया और उसके साथ लिपट गई। उसकी फौलादी बाँहों में अपना जिस्म सौंप दिया। अपना टॉप उतार फेंका। फिर वहीं घुटनों के बल बैठ उसकी पैंट उतारी, उसका अंडरवीयर हटाया, फनफ़नाता हुआ काला नाग अपना सर उठाने लगा, मेरे हाथ लगते वो झटके लेने लगा। पागलों की तरह चूसा मैंने उसको ! सपना सा लग रहा था !

उसने मेरी ब्रा उतारी और टूट पड़ा, मेरे मम्मों पर दांत गाड़ने लगा। वहीं कारपेट पर ही उसने मुझे अपने आगोश में ले लिया और खूब खेला मेरे जिस्म से ! और चुदाई से पहले मैंने उसके जिस्म से जो होता, उसका पूरा आनंद उठाया। वहीं उसने मेरी जांघों के बीच बैठ मुझे वो दिया जो कितने दिनों से मुझे मनमर्ज़ी जैसा नहीं मिला था। ऑफिस की ख़ामोशी में हम दोनों की साँसों के अलावा कुछ नहीं था। तूफ़ान आया और उसी कारपेट पर हम कस कर लिपट गए, हांफने लगे।

मैं जब होश में आई तो मेरे चेहरे पर तस्सली थी, उसके चेहरे पर ख़ुशी !

मैंने कपड़े पहने और उसने भी ! और वो निकल गया !

जितने दिन मैं अकेली रही, रोज़ वो मुझे चोदने लगा।